Friday, September 16, 2016

मैं जा भले रहा हूँ तेरा शहर छोड़ कर

मैं जा भले रहा हूँ तेरा शहर छोड़ कर
पर यकीन कर तुझे अपने साथ हैं ले जाना

जब भी दिल करे मिलने का मुझसे
आंखे बंद न करना बस मेरा नाम लबों पे आना

मैं भी तुझे अपने साथ हर पल रखूँगा
मेरी मुस्कान याद करके तू भी मुस्कुराना

प्यार कभी कम न होगा तेरा ये जानता हूँ
तू दूरियों में भी विश्वास ये मुझपे जताना

न लड़ना न झगड़ना ना मुझसे ज़रा भी रूठना
बस शिकायत हो गर कभी तो मुझसे खुल कर बताना

मैं तोडूंगा नहीं कोई वादा ओ दिलबर
ना किसी कसम को मैंने हैं भूल जाना

तू भी आ जाना उस शहर कुछ वक़्त के बाद
मेरे पास न सही, मेरे साथ ज़िन्दगी ज़िन्दगी बिताना

सब कुछ छोड़ न सको तो कोई बात नहीं
मुझे न छोड़ देना बस प्यार मुझसे निभाना

कि हमदम  तुझसे जुदा मैं हो नहीं सकता
ये बात बस अपने ज़ेहन में ऐसे बिठाना

कि जब भी कोई संदेह हो मुझपे
थोड़ा प्यार बढ़ के मुझे और अपना बनाना।।।।

मुझे भूल जा

मैं पल हूँ एक या एक सदा
तू याद कर या भूल जा

मुझको फ़र्क पड़ता नहीं
ना तुझसे ही बस रिश्ता मेरा

मैं हूँ तो तू भी हैं यहाँ
मेरे बिन तेरा क्या हैं निशान

तू हैं नहीं कुछ भी नहीं
बिन आसमाँ जैसे ज़मीं

हाँ लगे भला या लगे बुरा
मुझको हैं क्या मुझको हैं क्या

मैं खुश नहीं तो तेरी खता
तू खुश नहीं तो मत जता

तुझसे मेरा जीवन जो था
खुद ही तूने हाँ मिटा दिया

बस अब नहीं हाँ अब नहीं
हो चुका बहुत जो भी हुआ

तुझसे रखूँ मैं क्यों वास्ता
तुझसे मुझे मिलता हैं क्या

बस अजनबी हाँ अज़नबी
बन के रहेंगे हम यहाँ

मैंने सही तेरी हर एक अदा
शिकवा भी कब कोई किया

तू जो खिलखिला के हँसी कभी
मैंने अपने ग़म को छुपा लिया

रोई जो  कभी मुझे कर के याद
पल भर में तुझको हँसा दिया

अब कह भी दूँ तो होगा क्या
मैं कैसे तुझको दूं सजा

मेरा दिल ही मेरा साथी न हुआ
किसी और की गलती है क्या

जा माफ़ तुझको कर दिया
मुझे भूल जा मुझे भूल जा

अब बस रहम करना इतना
कि न देखूं कभी चेहरा तेरा

मैं पल हूँ एक या एक सदा
तू याद कर या भूल जा......


Tuesday, September 13, 2016

मौत से मोहलत

इतने अरसे बाद कुछ कलम ने हरकत की हैं
कि बहुत से भी ज्यादा इस दिल ने हसरत की हैं

पाने को किसी को बेताब इतना रहा हैं
कि सांसो को गिनने की इसने हिम्मत की हैं

ख़ुदा का सजदा किया हैं बंद खुली आँखों से
नींदों से दगा करने की क्या खूब जुर्रत की हैं

तुझे लगता हैं कि ये दीवाना बस ऐसे ही मर जायेगा
याद रख न भूलना कि मैंने सच्ची मोहब्बत की हैं !!

बस थोड़ी दूर हुआ हु तुझसे नहीं शहर से तेरे
तेरी तो हर पल मैंने लाख इबादत की हैं

लिखना पड़ेगा रब्ब को तुझे मेरी तक़्दीरों में
कुछ तो असर लाएगी जो इतनी मिन्नत की हैं

डरना नहीं कभी जो देख ले कोई साया तू
ज़िंदा हूँ तब तक जब तक तुझसे मिल न पाउँगा

मैंने कसम से यार मेरे यकीन कर
साँसों को रोक रखा हैं और मौत से मोहलत ली हैं !!!