तुझे नाज़ है अगर अपनी अदाओ पे इतना
तो सुन ये काफी नहीं मुझे रिझाने के लिए
नहीं कोई आफताब जो जल उठूँ शबाब देखकर
साँसों में आग लगनी होगी मुझे जलाने के लिए
भूल कर सब कुछ खुद से होकर ज़ुदा
मुझमे मिलना होगा मुझे पाने के लिए
इज़हार करना होगा पल पल चाहतो का
दिल्लगी करनी होगी दिल लगाने के लिए। …
तो सुन ये काफी नहीं मुझे रिझाने के लिए
नहीं कोई आफताब जो जल उठूँ शबाब देखकर
साँसों में आग लगनी होगी मुझे जलाने के लिए
भूल कर सब कुछ खुद से होकर ज़ुदा
मुझमे मिलना होगा मुझे पाने के लिए
इज़हार करना होगा पल पल चाहतो का
दिल्लगी करनी होगी दिल लगाने के लिए। …