क्यों रोकते हो खुद को मुझमे मिल जाने से
सब जहाँ मिल जायेंगे बस तेरे मेरे मिल जाने से
कि ख़त्म हो जाएँगी बाकी ख्वाहिशें
मेरी सुबह में तेरी खुशबू घुल जाने से
शाम और दोपहर मेरी महकने लगेंगी
धडकनें तेरे नाम से बहकने लगेगी
तेरी मंज़ूरी हो जाये ऐ दिलबर तो सच
बरसों से गुम मुस्कान फिर चहकने लगेंगी
मैं खो जाऊंगा फिर तेरे प्रेम के भंवर में
कि याद ना रहेंगी कोई सांझ तेरी सेहर में
हाँ व्यस्त कर लूँगा खुद को तेरी मुस्कान के लिए इतना
ना याद रहेगा कोई सिवा तेरे इस सुनसान शहर में
मैं कहता हूँ जो सच है और यही हकीकत हैं
आज मुझे गर हैं तो बस तेरी ज़रुरत हैं
खुदा की बंदगी भी तुझे पाने को ही शुरू की
दिल-ए-"मान" के लिए तू ही बस उसकी इबादत हैं
दिल कहता हैं हर लम्हे में तारीफ करूं तेरी
उसमे भी हासिल पर मुझे कहा महारत हैं
हो पायेगा जीना तो अब तेरे साथ ही
बिन तेरे चलती इन साँसों पे लानत हैं
अब तू कबूल कर ले तोहफे मोहब्बत के
कि बता मुकाम कोई तो मेरी चाहत के
किसी ओर तरह पाना होता तो कब का पा चुका होता
कि इनाम कोई तो नाम कर मेरी शराफत के
हाँ ये हो ना पता मुमकिन शायद कभी भी
जो आखिर तेरी पहल पे हमने कही तो सही
जो तू ना समझ पाता मेरे इश्क की ख़ामोशी
तो "मान" कह ना पाता ये दिल की बात कभी
और हाँ जो बोल पाया हूँ तो इनकार मत करना
हाँ भले तू खुल के इज़हार मत करना
बेकरार दिल में अभी तो चैन आया हैं
चुप रहना भले पर नामंज़ूर मेरा प्यार मत करना
नहीं कहता ये कि बिन तेरे मर जाऊंगा
पर इतना तो तय हैं कि जी भी ना पाउँगा
हाँ तुझसे ओ हसीं दूरियाँ बढ़ा लूँगा
इस तेरे दिल से खुद को मिटा दूंगा________
सब जहाँ मिल जायेंगे बस तेरे मेरे मिल जाने से
कि ख़त्म हो जाएँगी बाकी ख्वाहिशें
मेरी सुबह में तेरी खुशबू घुल जाने से
शाम और दोपहर मेरी महकने लगेंगी
धडकनें तेरे नाम से बहकने लगेगी
तेरी मंज़ूरी हो जाये ऐ दिलबर तो सच
बरसों से गुम मुस्कान फिर चहकने लगेंगी
मैं खो जाऊंगा फिर तेरे प्रेम के भंवर में
कि याद ना रहेंगी कोई सांझ तेरी सेहर में
हाँ व्यस्त कर लूँगा खुद को तेरी मुस्कान के लिए इतना
ना याद रहेगा कोई सिवा तेरे इस सुनसान शहर में
मैं कहता हूँ जो सच है और यही हकीकत हैं
आज मुझे गर हैं तो बस तेरी ज़रुरत हैं
खुदा की बंदगी भी तुझे पाने को ही शुरू की
दिल-ए-"मान" के लिए तू ही बस उसकी इबादत हैं
दिल कहता हैं हर लम्हे में तारीफ करूं तेरी
उसमे भी हासिल पर मुझे कहा महारत हैं
हो पायेगा जीना तो अब तेरे साथ ही
बिन तेरे चलती इन साँसों पे लानत हैं
अब तू कबूल कर ले तोहफे मोहब्बत के
कि बता मुकाम कोई तो मेरी चाहत के
किसी ओर तरह पाना होता तो कब का पा चुका होता
कि इनाम कोई तो नाम कर मेरी शराफत के
हाँ ये हो ना पता मुमकिन शायद कभी भी
जो आखिर तेरी पहल पे हमने कही तो सही
जो तू ना समझ पाता मेरे इश्क की ख़ामोशी
तो "मान" कह ना पाता ये दिल की बात कभी
और हाँ जो बोल पाया हूँ तो इनकार मत करना
हाँ भले तू खुल के इज़हार मत करना
बेकरार दिल में अभी तो चैन आया हैं
चुप रहना भले पर नामंज़ूर मेरा प्यार मत करना
नहीं कहता ये कि बिन तेरे मर जाऊंगा
पर इतना तो तय हैं कि जी भी ना पाउँगा
हाँ तुझसे ओ हसीं दूरियाँ बढ़ा लूँगा
इस तेरे दिल से खुद को मिटा दूंगा________