Tuesday, September 8, 2015

संतान से सुख मिल नहीं सकता, माँ बाप को जो कभी दिया ही नही

बहुत रोज से कुछ लिख रहा था मैं
ना जाने क्यूँ अधूरा सा लग रहा था वही

लगता हैं जो मेरें  हर पल साथ हैं
उसी को ज़रूरी मैं लग रहा था नहीं

मै  भीड़ में उसको खुद से जोड़ के
चल पड़ता था सब कुछ छोड़ के

आसान करने को उसका हर एक सफर
बेपरवाह  हर मुश्किल तोड़ के

वो काबिल हुआ हैं इतना कि यारों
अब लगता हैं उसको मेरी  चाहत  ही नही

मेरे  खून के कतरे को मेरी कसम
पल भर को मेरी जरूरत ही नहीं

मैं अपने पिता को याद करू
कि अपनी नापाक अदाओ को

मैं बुरा हुआ इतना भी क्यूँ
कि हक़ मिला ऐसी सजाओ को

 अपने को सही मान कर मैंने
शायद न कोई गलती थी की

पर गलत उनके साथ किया
 हा वो मेरी बदसलूकी ही थी

जो कहना चाहूँ वो कह भी पाउ
ये मुझ को मुश्किल लगता हैं

बेमतलब सा अब मुझको
ये सारा जीवन लगता हैं

हा जो भी कहा वो गर समझो
अपनों को पूरा मान दो

ज्यादा कुछ इसमें लगता ही नहीं
बस माता पिता को सम्मान दो

प्यार से बढ़कर कोई तोहफा
कभी किसी को मिला ही नहीं

संतान से सुख मिल नहीं सकता
माँ बाप को जो कभी दिया ही नही.......... !!!!